एकठे नईनार नईहर से ससुर जात है बड़े जुलम की बात है । (टेक)
एक नार गवने की जाती करके खूब खूब तईयारी जी ।
एक तो सूरत वाली दूसरे रही ऊमर की बारी जी ||
कहरे डोली उठाय करके रास्ता लिए सिधारी जी ।
खाली नाऊ चला साथ करने को खिजमत दरी जी ||
उड़ान- बढ़ गई डोली पीछे रही बरात है || बड़े जुलम की बात है…… ||1||
लगी प्यास जब दुलहनिया को तो नाऊ से बतलाया जी ।
एक दरखत को निचे नाऊ डोली को छिपवाया जी ||
तब ओ नाऊ कुआ से जाके पानी भर के लाया जी ।
दस बीस लड़का उस दरखत के निचे खेल मचाया जी ।
उड़ान- एक लड़का था खड़ा लगाये घात है || बड़े जुलम की बात है…… ||2||
लड़का एक दम छोड़ नहीं था लड़का सयाना जी ।
पानी पिते देखा सकल तब लड़का हुआ दीवाना जी ||
पानी पिलाय करके कहरे रस्ता हुए खाना जी ।
तबओ लड़का चढ़ा पेड़ पर ऐसा ईश्क समाया जी ||
उड़ान- इश्क के मद से गयाओ लड़का मात है || बड़े जुलम की बात है…… ||3||
जैसे-जैसे डोली बढ़ा अगाड़ीं लड़का चढ़त पेड़ पर जय जी ।
डोली भी अनदेखी हुई दरखत भी गया आराय जी ।
तबओ लड़का लगा सोचने डोली देखु धाय जी ||
आगे की जब कदम गिरा पछाड़ा खाय जी ।
उड़ान- दुलहिन उसके हुई जान की घात है || बड़े जुलम की बात है…… ||4||
उस दुलहिन की सूरत पर लड़का खोया अपना जान जी ।
पाप तो दिल में रहा नहीं था सूरत पर लोमान जी ||
था ओ लड़का मुस्लमान का दरखत के निचे गड़ान जी ।
पक्का उसका कबर बना है अभी तलक निशान जी ||
उड़ान- यह बयान जो सुनैओ चक्कर खात है || बड़े जुलम की बात है…… ||5||
बहुत दिना के बादऊ दुलहिन नईहर को किया पयान जी उसी जगह पर पहुंची जहवाँ लड़का रहा गड़ान जी ।
जिस सक्स से पूछा उसने जड़ से किया बयान जी ||
एक दुलहिन के सूरत पर जी पर गया जवान जी ।
उड़ान- सुनके औरत लगी पिसने दात है || बड़े जुलम की बात है ||6||
कहती औरत सुन आशिक क्यू हमपर जान गवाई जी ।
कबर अपना खोल देव हम सूरत देई दिखाई जी ।
आखिर के पट गया कबर दुलहन उसमें समाई जी ||
थोड़ी ओढ़नी रहीगा बाकी कबर हुआ एक जाई जी ।
उड़ान- भाईया अभी तलक से ऊ ओढ़नी लहरत है || बड़े जुलम की बात है…… ||7||
बफ्फत कहते देखा नहीं हम सुने और के कने जी ।
कितने लोग कहे हमसे है बिलकुल सही बया जी ।
ये यारो यह सुनके दस्ता इसपर लाओ इमाने जी ।
खुदा पर तुं इतबार करो दोनों जग लगी ठेकाने जी ||
उड़ान- यह पद सुनके लक्षिमन मुस्कात है || बड़े जुलम की बात है…… ||8||
