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ई मिर्जापुरी कजरी प्रेमिका द्वारा करार करके मुकर जाए, मीठा बोल के झांसा देवे अउर अंत में प्रेमी के साथे विश्वासघात करे के पीड़ा के वर्णन करत बा।

मुख्य जानकारी

जानिया करार करके कहे तू इनकार कईल जियरा रज हमर कईलकई ना ।…… टेक

मीठी-मीठी करके बतिया हमके बोला लीहू तू रतिया-भारी किहु मोर फजिहतिया-घतिया लागै दिहू

भरी दगे क भर कईलू जियरा ||1||

सुतल ओ ओर पकड़ के पाटिया एक ओर घुमु नहीं करबहीया-हम जोहत रह गडली बरिया-

पीठीया हमारी ओर तू ओह ओर अपना दुआर केईलू जियरा रज हमार ||2||

हम तो रहे लगाये आशा पईबै माल आज हम खासा-खूब कईलू तू दिहलू हमके झासा पासा पलट

दिहाल तू छन में मुकदमा हार कईलू जियरा रंज हमार ||3||

उड़के- बड़के हम तोड़तारी-मन्सा पूरा होई हमारी लेकिन दिहु लात तू ।

मारी प्यारी छोड़ के हमके का त दुसेर भतार कईलू || जियरा रंज हमारे ||4||

अइसे-तइसे रात खितइलू हमारे पजे मे न अइलू मुखुजी कहै जुलुमावा कईलू भइल- भइल

निर्मोही तू कहे अस बिचार कईलू जियरा रंज हमार ||5||