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ई सुमिरन कजरी में प्रहलाद, रावन अउर द्रोपदी के प्रसंग के माध्यम से ई समझावल गइल बा कि हरी (भगवान) के सुमिरन के बिना कवनो चाल से उद्धार संभव नइखे।

मुख्य जानकारी

हरी बिना नहीं तरोगी गोरिया कवनो चाल से तू हरी के भजलो ख्याल से ना ||टेक||

हरी बिन हरी न कुशगा मारा हरी जी निकल खम्भ को फरा उसको चूर-चूर कर डाला-खंजर निचे बचे प्रहलाद के ढाल से ||1||

जग में बली हुआ था रावन-कईलेश राज चौकड़ी बावन-जब ओ छोड़ा हीरो दावन-ओ भी मारा गया अभिमानी बन्दर भाल से ||2||

राजवंश गर्व भुला करता दूध दही का कुला जब ओ नाम हरी का भुला ओ भी भार खुद बहिन के अपने लाल से हरी ||3||

था दुर्योधन ऐसा बीर सभा में लगा खींचने चिर द्रोपदी हरी को दिया सुमिरन चिर इतना बाढा न खीचा गया चंडाल से ||4||

जेतने हरी क गुनवा गईब सासर ओतनै मजा उड़इब बईठे- बईठे बईठ हुकुम चलईब- बफ्फत कहैं हरी न पूछी है सुन्दर गाले हरी को भज लो ख्याल से ||5||