हरी बिना नहीं तरोगी गोरिया कवनो चाल से तू हरी के भजलो ख्याल से ना ||टेक||
हरी बिन हरी न कुशगा मारा हरी जी निकल खम्भ को फरा उसको चूर-चूर कर डाला-खंजर निचे बचे प्रहलाद के ढाल से ||1||
जग में बली हुआ था रावन-कईलेश राज चौकड़ी बावन-जब ओ छोड़ा हीरो दावन-ओ भी मारा गया अभिमानी बन्दर भाल से ||2||
राजवंश गर्व भुला करता दूध दही का कुला जब ओ नाम हरी का भुला ओ भी भार खुद बहिन के अपने लाल से हरी ||3||
था दुर्योधन ऐसा बीर सभा में लगा खींचने चिर द्रोपदी हरी को दिया सुमिरन चिर इतना बाढा न खीचा गया चंडाल से ||4||
जेतने हरी क गुनवा गईब सासर ओतनै मजा उड़इब बईठे- बईठे बईठ हुकुम चलईब- बफ्फत कहैं हरी न पूछी है सुन्दर गाले हरी को भज लो ख्याल से ||5||
