टेक – जबसे ए कलयुग की बजी बधाई छोटी ननदी ।
अजब अजब सब रंग परै दिखलाई छोटी ननदी ||
चौकड़ी – पढ़ा – लिखा सब मुरख भईलै मुरखन के करत ज्ञान देखा ।
सतवन्ती सिर झुका लिहिन हरजाईन के गुमान देखा ।
जवान तरसे सुरती के बुड़ियन के खात पान देखा ||
उड़ान- हिजरा के घर बाजत देखा बधाई छोटी ननदी ||1||
चौकड़ी – सूद्र घरे गोरा लड़का बड़ो के घर कला देखा ।
बड़ो के गर में धागो नहीं सूद्र गरे माला देखा ||
बड़ा फंसै है सुद्धिन के संघ बड़का घर वाला देखा ।
घर का मालिक दुबला पतला नौकर को पला देखा ||
उड़ान- मलिक चोकर नौकर खात मलाई छोटी ननदी ||2||
चौकड़ी – चुगुल चुतीया झूठ कहिया ये सबको सच्चा देखा ।
ओझा बईद दलालों का न कभी बात कच्चा देखा ||
ब्याही के औलाद नाही कवारिन के पेट बच्चा देखा ||
बेईमानन के बईठन खातिर बिछा हुआ मच्चा देखा ||
उड़ान- भालमानुष के मिले न टाट चटाई छोटी ननदी ||3||
चौकड़ी – साव रहा सो चोर हुआ चोरो को कहत साव देखा ।
उम्दा चिजै सस्ता बुरी चीज का महगा भाव देखा ||
सुरमा निचे दबा हुआ काजर को करक दाव देखा ।
जवानन का मति मंद पड़ा बुड़वन को बहुत ताव देखा ||
उड़ान- मरै के अटके खोजै क्वार लुगाई छोटी ननदी ||4||
चौकड़ी – दुलहिन देखा बहुत बड़ी दुलहिन से छोटा वर देखा ।
पईसा लेके ब्याह करे न लाज उनमे डर देखा ||
बे अइबी दब के बोले अइबीओं को बोलत खर देखा ।
जिनका घूँघट सिने तक उनको बिसो सौहर देखा ||
उड़ान- भला ये सुन कर कईसे कोई पतियाई छोटी ननदी ||5||
चौकड़ी – बगियाँ बांध मिसिल पर बइठै जरा न उनमे सत देखा ।
ओ न्याय कईसे करिहै जब लेत उन्हें रुसवत देखा ||
अबरा का कोई साथी नहीं जबरा के तरफ कहत देखा ।
बफ्फत कहत हम एक नहीं लाखो को अलबत देखा ||
उड़ान- कथा भगवत पर जगत ओहाई छोटी ननदी ।
अजब अजब सब रंग परै छोटी ननदी ||
