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ई बरसाती कजरी सावन में परदेसी पति के इंतज़ार, विरह के दर्द अउर अंत में अचानक उनकर वापस अइला पर सेजरिया के सुख अउर मिलन के वर्णन करत बा।

मुख्य जानकारी

नहीं मालूम कब अइहो-कहिया लेईहो मोर खबरिया कजरिया बीतल जाला मोर बालमुआ ||टेक||

सावन के बहार लोय मची हुई झनकार लो नई-नई सब मार लोय -छलके हमरे दवार लोय ।

उड़ान- सखिए पहिरै सारी हमारी फटली सी लुगरिया शरिरिया सरमाला मोर बलमुआ ||1||

सब ही गोरी करी लोय एक बरन की नारी लोय गरमे गरवा डारी लोय उड़ा रही मजेदारी लोय ।

उड़ान- लगै हमै जस बरक्षी केरै रिरक्षी जब न जहिया डगरिया न सुझाला मोर बलमुआ ||2||

एक तो दिन बरसाती लोय दुसरे मद मद से माती लोय लगे हुए है घाती लोय ।

उड़ान- गरज रहा घन घोर चोर पिट रहे केवड़िया-अटरिया जीव डेराला मोर बलमुआ ||3||

लगा के तन पर दाग लोय हमके गए तियाग लोय लगे विदेश मे आग लोय जारै हमारी भाग लोय

उड़ान- आखिड़ घर पर अइहो पइहो नाही मजेदरिया-ऊमरिया घसकल जाला मोर बालमुआ ||4||

एक दिन दिल उबियाए लोय सब श्रृंगार धोनाय लोय-तइसे पीयऊ आये लोय फिर से लगी नहाए लोय ।

उड़ान- कहते बफ्फत धैके बहिया लेगइली सेजरिया कसरिया सब मेंडाला मोरे बलमुआ ||5||