जानिया करार करके कहे तू इनकार कईल जियरा रज हमर कईलकई ना ।…… टेक
मीठी-मीठी करके बतिया हमके बोला लीहू तू रतिया-भारी किहु मोर फजिहतिया-घतिया लागै दिहू
भरी दगे क भर कईलू जियरा ||1||
सुतल ओ ओर पकड़ के पाटिया एक ओर घुमु नहीं करबहीया-हम जोहत रह गडली बरिया-
पीठीया हमारी ओर तू ओह ओर अपना दुआर केईलू जियरा रज हमार ||2||
हम तो रहे लगाये आशा पईबै माल आज हम खासा-खूब कईलू तू दिहलू हमके झासा पासा पलट
दिहाल तू छन में मुकदमा हार कईलू जियरा रंज हमार ||3||
उड़के- बड़के हम तोड़तारी-मन्सा पूरा होई हमारी लेकिन दिहु लात तू ।
मारी प्यारी छोड़ के हमके का त दुसेर भतार कईलू || जियरा रंज हमारे ||4||
अइसे-तइसे रात खितइलू हमारे पजे मे न अइलू मुखुजी कहै जुलुमावा कईलू भइल- भइल
निर्मोही तू कहे अस बिचार कईलू जियरा रंज हमार ||5||
