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ई सुमीरन कजरी में कवि 'बफ्फत' अपने प्यारे बलमु के हर घड़ी हरी (रघुवीर) के नाम जपे के सीख देत बाड़न, जेकरा से सब संकट कट जाला अउर भवसागर से बेड़ा पार हो जाला।

मुख्य जानकारी

हमेशा भजा करो तू हरी-हरी बिन कोई न जल्दी तरी-तरी जब भजो हरी हर घड़ी हमरे प्यारे बलमु ||टेक||

हर घड़ी लिया करो नाम-नाम से तेरा बनी सब काम -काम न गलत एकहू घड़ी हमरे प्यारे बलमु ||1||

पड़ी जब तुम्हारे ऊपर भीर-भीर को काटेंगे रघुवीर वीर को मार -मार के छड़ी हमारे प्यारे बलमु ||2||

छड़ी है उनकी जालिम जोर-जोर देते सबही का तोर-तोर दे छोट चीज क्या बड़ी हमारे प्यारे बलमु ||3||

बड़ी है उनकी जग में उनकी शान-शान पर हो जा तू कुरबान-बान नहीं जादू तुमसे बड़ी हमारे प्यारे बलमु ||4||

लड़ी हर जगह तेरा उमाल-माल पर रख तू अपना ख्याल-ख्याल से नाच चली न अड़ी हमारे प्यारे बलमु ||5||

अड़ी न नाव होई जब ज्ञान-ज्ञान से चाहे समुन्दर छान-छान क बफ्फत कहते कड़ी हमरे प्यारे बलमु ||6||